जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक महावीर का
जन्म वैशाली के निकट कुंडग्राम में 540 ई.पू. में हुआ। इनके पिता सिद्धार्थ
ज्ञातृक गण के मुखिया थे और माता त्रिशला लिच्छवि गणराज्य प्रमुख चेटक की बहन थी।
महावीर के बचपन का नाम वर्द्धमान था।
۞ इनका विवाह यशोदा से हुआ तथा जमालि उनकी
पुत्राी थी।
۞ महावीर ने 30 वर्ष की अवस्था में बड़े
भाई नंदिवर्द्धन की आज्ञा लेकर गृह त्याग कर दिया।
۞ 12 वर्ष की कठोर तपस्या के पश्चात्
जम्भियग्राम के समीप ऋजुपालिका नदी के तट पर वर्द्धमान को कैवल्य प्राप्त हुआ।
۞ जैनग्रंथ आचारांग सुत्त में महावीर की कठोर
तपस्या का वर्णन मिलता है।
۞ कैवल्य प्राप्त होने के पश्चात् ये केवलन, इन्द्रियों को
जीत लेने के कारण जिन तथा अतुल पराक्रम दिखाने के कारण ये महावीर कहलाये।
۞ 72 वर्ष की उम्र में राजगृह के निकट पावापुरी
में 468 ई.पू. में
निर्वाण प्राप्त किये।
۞ शालवृक्ष के नीचे महावीर को कैवल्य की
प्राप्ति हुई थी। पूर्व में ये श्निग्रंथश् कहलाते थे।