विद्वान दृष्टिकोण
अर्नेस्ट
मैके एवं मार्शल बाढ़ के कारण नष्ट हुई
ह्नवीलर
एवं गार्डन चाइल्ड विदेशी व आर्य आक्रमण से नष्ट हुई
लैम्ब्रिक नदियों
के मार्ग परिवर्तन के कारण नष्ट हुई
एम.आर.
साहनी जलप्लावन
के कारण इस सभ्यता का अंत हुआ
डी.डी.
कौशांबी आग
के कारण सभ्यता का विनाश हुआ
ओरेल
स्टाइन एवं जलवायु परिवर्तन के कारण यह सभ्यता नष्ट हो गयी
अमलानंद
घोष सर्विस अपने साधनों को जरूरत से ज्यादा व्यय कर डाला जिससे उनका विनाश
हुआ
शिल्प
एवं उद्योग धन्धे:
۞ धातुकर्मी तांबे के साथ टिन मिलाकर कांसा
तैयार करते थे।
۞ हड़प्पा सभ्यता में कटाई बुनाई का व्यवसाय
प्रमुख व्यवसाय था।
۞ बुनकर सूती और ऊनी कपड़ा बनते थे।
۞ कताई में प्रयोग होने वाली तकलियों के भी
प्रमाण मिले हैं।
۞ मोहनजोदड़ों से बने हुए सूती कपड़े का एक
टुकड़ा तथा कालीबंगा में मिट्टी के बर्तन पर सूती कपड़े की छाप मिली है।
۞ विशाल इमारतों से पता चलता है कि राजगीरी एक
महत्वपूर्ण कौशल था।
۞ इस सभ्यता के लोगों को लोहे की जानकारी नहीं
थी।
۞ हड़प्पा सभ्यता में नाव बनाने के भी साक्ष्य
मिले हैं।
۞ पत्थर, धातु एवं मिट्टी की मूर्तियों का निर्माण
भी महत्वपूर्ण उद्योग थे।
۞ सभी पाषाण मूर्तियां खंडित अवस्था में प्राप्त
हुई है।
۞ पाषाण मूर्ति एलेबेस्टर, चूना-पत्थर, सेलखड़ी, बलुआ पत्थर
एवं सलेटी पथर से निर्मित है।
۞ कांस्य मूर्ति का निर्माण द्रवी-मोम विधि से
हुआ है।
۞ मोहनजोदड़ो एवं हड़प्पा से प्राप्त
मृणमूर्तियों में पुरुषों की तुलना में नारी मृण्मूर्ति अधिक है।
۞ हड़प्पा संस्कृति में पशु-मूर्तियां
मानव-मूर्तियों से अधिक संख्या में पाई गयी है।
۞ हड़प्पा में कूबड़ वाले बैलों की मूर्तियां
सर्वाधिक संख्या में मिली है।
۞ बनवाली से मिट्टी के बने हल के खिलौने प्राप्त
हुए हैं।
۞ मृण्मूर्तियों में मातृदेवी की मूर्ति
सर्वाधिक है।
۞ चन्हुड़ों और कालीबंगा चूड़ी उद्योग के लिए
प्रसि) था।
۞ मनका उद्योग का केन्द्र लोथल एवं चन्हुदड़ों
था।
۞ हड़प्पा, मोहनजोदड़ो एवं लोथल धातु उद्योग का
केन्द्र था।