विद्वान आदिस्थल के बारे में मत
बाल
गंगाधार तिलक उत्तरी धु्रव
मैक्समूलर मध्य
एशिया
दयानंद
सरस्वती तिब्बत
डा.
अविनाश चन्द्र सप्त सैंधव प्रदेश
पेनका, हर्ट जर्मनी
मेयर, पिगट, चाइल्ड, नेहरिंग दक्षिणी
रूस
गाइल्स हंगरी
अथवा डेन्यूब घाटी
विलियम
जोंस यूरोप
ए.डी.
कल्ल कश्मीर
डी.एस.
त्रिदेव मुल्तान
राजबली
पांडेय मध्य प्रदेश
ऋग्वैदिक काल:
۞ इस काल की सम्पूर्ण जानकारी हमें ऋग्वेद से
मिलती है।
۞ ऋग्वेद में आर्य निवास क लिए सर्वत्र सप्त
सैंधव शब्द का प्रयोग हुआ है।
۞ आर्यों का भौगोलिक विस्तार पंजाब, अफगानिस्तान, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश
या यमुना नदी के पश्चिम भाग तक था।
۞ ऋग्वैदिक लोगों को समुद्र की जानकारी नहीं थी।
समुद्र शब्द अपार जलराशि का वाचक था।
۞ ऋग्वेद में गंगा का एक बार तथा यमुना का तीन
बार उल्लेख हुआ है।
۞ इस काल में एक मात्र पर्वत मूजवंत का
उल्लेख मिलता है।
۞ ‘धन्व’ शब्द मरुस्थल
के लिए प्रयुक्त हुआ था।
۞ यदु और तुर्वस इस काल के दो प्रधान जन थे।
۞ भरत राजवंश का नाम त्रित्सू था।
۞ दाशराज्ञ युद्धपरुष्णी (रावी) नदी के
किनारे हुआ था। इस युद्ध में भरत जन के राजन सुदास ने दस राजाओं के
संघ को पराजित किया था। सुदास का पुरोहित वशिष्ठ तथा विश्वामित्र दस
राजाओं के संध का पुरोहित था।