मापतौल:
۞ मोहनजोदड़ो से सीप का तथा लोथल से एक
हाथी-दांत का पैमाना मिला है।
۞ भरे चर्ट पत्थर के बाट सर्वाधिक संख्या में
मिले हैं।
۞ तौल पद्धति की एक श्रंखला 1, 2, 4, 8 से 64 इत्यादि की
तथा 16 या उसके
आवर्तकों का व्यवहार होता था जैसे-16, 64,160,320 और 640।
۞ घनाकार बाट सर्वाधिक संख्या में प्राप्त हुए
हैं।
मृद्भांड:
۞ हड़प्पा संस्कृति में कुम्हार के चाक से
निर्मित मृद्भांड काफी प्रचलित थे।
۞ गाढ़ी लाल चिकनी मिट्टी पर काले रंग के
ज्यामितीय एवं प्रकृति से जुड़े डिजाइन बनाये जाते थे।
۞ बर्तनों पर वनस्पति-पीतल, ताड़, नीम, केला और बाजरा
के चित्र अंकित हैं तथा पशुओं में मछली, बकरे, हिरण, मुर्गा आदि के चित्रण भी बर्तनों पर हैं।
मुहर एवं लिपि:
۞ मोहनजोदड़ो से सर्वाधिक संख्या में मुहरें
प्राप्त हुई हैं।
۞ प्राप्त मुहरों में सर्वाधिक सेलखड़ी की बनी
हैं
۞ हाथी, बाघ, कूबड़ वाला बैल, एकश्रंगी पशु, गैंडा एवं
भैंसे की आकृति मुहरों पर अंकित है।
۞ मुहरों पर एकश्रंगी पशु की सर्वाधिक आकृति
मिली है। लोथल और देसालपुर से तांबे की मुहरें मिली हैं।
۞ हड़प्पा लिपि वर्णात्मक नहीं, बल्कि मुख्यतः
चित्र-लेखात्मक है।
۞ अभी तक 250-400 तक लिपि संकेत चिन्ह
ज्ञात हैं।
۞ इस लिपि के प्रत्येक चिन्ह किसी ध्वनि, वस्तु अथवा
विचार के द्योतक हैं।
۞ इस लिपि की लिखावट समान्यतया बाईं से दायीं ओर
है।
۞ हड़प्पाई लिपि को पढ़ने में अभी तक सफलता नहीं
मिली है।
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