बौद्ध धर्म को विशद ज्ञान हमें त्रिपिटक से
होता है जो पालि भाषा में लिखे गये हैं।
۞ चार अर्थ सत्य: बौ) धर्म का सार इन चार आर्य
सत्यों में निहित है।
दुःख: यह
संसार दुःख से व्याप्त है।
दुःख समुदय:
दुःखों के उत्पन्न होने के कारण हैं। सभी कारणों का मूल है तृष्णा।
दुःख निरोध:
दुःख निवारण के लिए तृष्णा का उन्मूलन आवश्यक है।
दुःख निरोध
गामिनी प्रतिपदा: दुःख निवारण का मार्ग अष्टांगिक मार्ग है।
۞ प्रतीत समुत्पाद बु) के उपदेशों का सार है
जिसका अर्थ है कि सभी वस्तुएं कार्य और कारण पर निर्भर करती है।
۞ अष्टांगिक मार्ग: दुःख के निवारण के लिए बु) ने
जो आठ उपाय या मार्ग बतलायें हैं अष्टांगिक मार्ग कहलाते हैं। ये हैं-सम्यक्
दृष्टि, सम्यक्
संकल्प, सम्यक्
कर्म,
सम्यक्
आजीव,
सम्यक्
व्यायाम, सम्यक्
स्मृति तथा सम्यक् समाधि।
۞ दस शील: बु) ने निर्वाण प्राप्ति के लिए
सदाचार तथा नैतिक जीवन पर बल दिया। इसके लिए उन्होंने दस शील का पालन अनिवार्य
बताया। ये दस शील हैं-
1ण् अहिंसा, 2ण् सत्य, 3ण् अस्तेय (चोरी न
करनाद्धए 4ण्
धन संचय न करना, 5ण्
व्यभिचार न करना, 6ण्
असमय भोजन न करना, 7ण्
कोमल शैय्या का त्याग, 8ण्
शराब के सेवन से बचना, 9ण्
ब्रह्मचर्य तथा 10ण्
नृतय,
गान, माला, सुगंध से
परहेज।
Tags:
Gk