उत्तर वैदिक काल


उत्तर वैदिक काल:

      जिस काल में यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, ब्राह्मण, आरण्यक तथा उपनिषद् की रचना हुई उसे उत्तरवैदिक काल (1000.600 ई.पू.) कहते हैं।

नदियों के प्राचीन एवं नवीन नाम
     प्राचीन नाम    आधुनिक नाम
     वितस्ता झेलम
     असिवनी चिनाब
     विपासा  व्यास
     परुष्णी  रावी
     शतुद्रि  सतलज
     कुभा   काबुल
     क्रुमु    कुर्रम
     गोमती  गोमल
     दृषद्वती घग्घर
۞    इस काल में आर्यों की भौगोलिक सीमा का विस्तार गंगा के पूर्व में हुआ। सप्तसैंधव प्रदेश से आगे बढ़ते हुए आर्यों ने सम्पूर्ण गंगा घाटी पर प्रभुत्व जमा लिया। परन्तु इनका विस्तार विन्धय के दक्षिण में नहीं हो पाया था।
۞    विस्तार के दूसरे दौर में आर्यों की सफलता का कारण लोहे के हथियार और अश्वचालित रथ थे।
۞    इस काल में कुरू, पान्चाल, कोशल, काशी तथा विदेह प्रमुख राज्य थे।
۞    मगध में निवास करने वाले लोगों को अथर्ववेद में श्व्रात्यश् कहा गया है।
۞    पांचाल की राजधानी कांपिल्य थी जबकि कुरू की राजधानी आसंदीवत थी।
۞    परीक्षित और जनमेजय कुरू राज्य के प्रमुख राजा थे जबकि प्रवाहण जैवालि एवं आरुणि-श्वेतकेतु पांचाल राज्य के प्रतापी नरेश थे।
۞    गंगा यमुना दोआब और उसके नजदीक का क्षेत्रा ब्रह्मर्षि देश कहा जाता था।

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