अशोक एवं अभिलेख

 अशोक

۞    अशोक के प्रारम्भिक जीवन के बारे में अभिलेखों से कोई जानकारी नहीं मिलती है। बौ) ग्रंथों के अनुसार उसकी माता का नाम सुभद्रांगी था।

अशोक के अभिलेख

                                         अशोक के अभिलेख

۞    अशोक की रानियों में महादेवी, असंघमित्रा तथा करुवाकी का नाम आता है।

۞    सिंहली परम्परा के अनुसार अशोक के पुत्रा महेन्द्र एवं पुत्राी संघमित्रा विदिशा के श्रेष्ठी पुत्राी महादेवी उत्पन्न हुए थे।

۞    अशोक के अभिलेख में उसकी एकमात्रा पत्नी करुवाकी का उल्लेख मिलता है जो तीवर की माता थी।

۞    सिंहली अनुश्रुति के अनुसार अशोक ने अपने 99 भाइयों की हत्या कर गद्दी प्राप्त की थी।

۞    अशोक का वास्तविक राज्याभिषेक 269.पू. में हुआ, हालांकि उसने 273.पू. में सत्ता पर कब्जा कर लिया था।

۞    राज्याभिषेक से संबंधित लघु۞ शिलालेख में अशोक ने स्वयं को श्बुद्धशाक्यश् कहा है।

۞    राज्य सत्ता ग्रहण करने के 7 वर्ष बाद अशोक के कश्मीर और खोतान के अनेक क्षेत्रों को अपने साम्राज्य में मिलाया।

۞    कल्हण के अनुसार अशोक ने कश्मीर में श्श्रीनगरश् नामक नगर की स्थापना की।

۞    अशोक के शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना राज्याभिषेक के आठवें वर्ष 261.पू. में कलिंग युद्धथा। इस युद्धकी भयावहता का जिक्र करते हुए अशोक ने स्वयं स्वीकार किया है कि इस युद्धमें एक लाख लोग मारे गये, डेढ़ लाख लोग बंदी बनाये गये तथा बहुत सोर लोग बेघर हो गये। यह युद्धअशोक के जीवन की एक युगांतकारी घटना सि) हुई। लिंग युद्धके भीषण नरसंहार को देखकर अशोक इतना द्रवित हुआ कि उसने भविष्य में कभी युद्धन करने का संकल्प लिया और दिग्विजय के स्थान पर श्धम्म विजयश् की नीति को अपनाया।

۞    कलिंग युद्धतथा उसके परिणामों के विषय में अशोक के तेहवें अभिलेख से विस्तृत सूचना प्राप्त होती है।

अभिलेख

۞    सर्वप्रथम 1750. में टीफेन्थैलर महोदय ने दिल्ली में अशोक स्तम्भ का पता लगाया था।

۞    सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप को 1837. में अशोक के अभिलेखों को पढ़ने में सफलता प्राप्त हुई।

۞    अशोक भारत का प्रथम ऐसा सम्राट था जिसने अभिलेखों के माध्यम से अपनी जनता को संबोधित किया। संभवतः इसकी प्रेरणा अशोक को श्डेरियसश् के शिलोख से मिली थी।

۞    अशोक का इतिहास हमें मुख्यतः उसके अभिलेखों से ही ज्ञात होता है। डी. आर. भंडारकर जैसे इतिहासकार ने केवल अभिलेखों के आधार पर ही अशोक का इतिहास लिखने का प्रयास किया है।

۞    अशोक के अभिलेख आरमाइक, खरोष्ठी एवं ब्राह्मी तीनों लिपियों में पाये गये हैं।

۞    कान्धार एवं लघमान के लेख आरमाइक लिपि में हैं।

۞    मानसेहरा एवं शाहबाजगढ़ी से खरोष्ठी लिपि के शिलालेख प्राप्त हुए हैं।

۞    अशोक के अभिलेख को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-शिलालेख, स्तम्भलेख एवं गुहालेख। 

1. शिलालेख

۞    शिलालेख की संख्या 14 है जो आठ भिन्न-भिन्न स्थनों से प्राप्त किये गये हैं।

۞    प्रथम शिलालेख में राजकीय पाकशाला में दो मयूरों एवं एक हिरण के अतिरिक्त सभी पशुओं की हत्या तथा सामाजिक उत्सवों पर प्रतिबंध की बात कही गयी है।

۞    द्वितीय शिलालेख में समाज कल्याण से संबंधित कुछ कार्य जैसे मनुष्यों एवं पशुओं के लिए चिकित्सा, मार्ग निर्माण, कुआं खुदवाना तथा वृक्षारोपण का उल्लेख है। चोल, चेर, पांड्य, सतियपुत्त तथा ताम्रपर्णि राष्ट्रों का उल्लेख भी इस शिलालेख में है।

۞    तृतीय शिलालेख में ब्राह्मणों तथा श्रमणों के प्रति उदारता, माता-पिता का सम्मान करना, निरीक्षण यात्रा, सोच-समझकर धन को खर्च करने और बचाने को अच्छा गुण कहा गया है।

۞    चतुर्थ शिलालेख में धम्म की उपलब्धियों का वर्णन है।

۞    पंचम शिलालेख में धम्म के प्रचार-प्रसार के लिए धम्म महामात्रों की नियुक्ति का वर्णन है।

۞    षष्ठम शिलालेख में प्रतिवेदकों के लिए आदेश है कि वे राजा से किसी भी स्थान और कसी भी समय मिल सकते हैं। इसमें आत्मनियंत्राण की भी शिक्षा दी गयी है।

۞    सप्तम शिलालेख में सभी सम्प्रदायों के बीच सहिष्णुता का आह्नान है।

۞    अष्टम शिलालेख में कहा गया है कि सम्राट की आखेटन गतिविधियां अब त्याग दी गयी हैं। अब सम्राट द्वारा धर्मयात्राएं आयोजित होगीं।

۞    नवम् शिलालेख में विभिन्न समारोह की निर्रथकता का उल्लेख तथा धम्म के समारोह के आयोजन पर बल दिया गया है।

۞    दसवें शिलालेख में ख्याति एवं गौरव की निंदा तथा धम्म नीति की श्रेष्ठता पर विचार प्रकट किया गया है।

۞    ग्यारहवें शिलालेख में धम्म नीति की व्याख्या करते हुए बड़ों का आदर, पशु हत्या न करना तथा मित्रों के प्रति उदारता पर बल दिया गया है।

۞    बारहवें शिलालेख में पुनः सम्प्रदायों के बीच सहिष्णुता बनाने का निवेदन किया गया है।

۞    तेरहवें शिलालेख में कलिंग युद्धका वर्णन है। इसमें युद्धके स्ािान पर धम्म द्वारा विजय प्राप्त करने का आह्नान है। पांच यूनानी राजा एण्टियोकरस, टालेमी, एण्टिगोनस, मेगाज और अलेक्जेंडर के उल्लेख के साथ आटविक जातियों को अशोक की चेतावनी का उल्लेख भी इस अभिलेख में है।

۞    चैदहवें शिलालेख में अशोक ने जनता को धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया है।

2. लघु शिलालेख

۞    अशोक के लघु शिलालेख अधिकांशतः साम्राज्य के दक्षिण तथा मध्य में स्थित है। ये शिलालेख बौ) के रूप में अशोक की गतिविधियों, नीतिशास्त्रा की व्यावहारिक संहिता तथा बौ) भिक्षुओं के प्रति एक आदेश है। इसके माध्यम से अशोक के व्यक्तिगत जीवन के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है।

अशोक के लघु शिलालेख


अशोक के लघु शिलालेख


भारतीय सेवक

पालकि गुण्डु                         (गोविन्दमठ से 4 मी. दूर)    1931 बी.एन. शास्त्राी

राजुल मंडिगिरि                  कुर्नूल (आंध्रप्रदेशद्ध)   

गोविमठ गोविमठ             (मैसूर कर्नाटकद्ध)      1931 बी.एन. शास्त्राी

सिद्धपुर ब्रह्मगिरि             (कर्नाटकद्ध)   

एर्रगुडी कर्नूल                   (आंध्र प्रदेशद्ध)


अशोक के विभिन्न नाम एवं उपाधि

अशोक  व्यक्तिगत नाम उल्लेख मास्की, गुर्जरा, नेतुर एवं उडेगोलम अभिलेख में

देवानामपियं                       राजकीय उपाधि

्िरपयदर्शी                     अधिकारिक नाम

मगध का राजा                 उल्लेख भाब्रु अभिलेख में

अशोक मौर्य                     जूनागढ़ अभिलेख में उल्लेख

अशोकवर्द्धन                     पुराण में उल्लेख


3. स्तम्भ लेख

۞    स्तम्भ लेख की संख्या 7 है जो 6 अलग-अलग स्थानों से मिले हैं।

۞    अकबर ने कौशांबी में स्थित प्रयाग स्तम्भ लेख को इलाहाबाद के किले में स्थापित कराया।

۞    दिल्ली-टोपरा तथा दिल्ली-मेरठ स्तम्भ लेख फिरोजशाह तुगलक द्वारा दिल्ली लाया गया।

۞    रामपुरवा, लौरिया अरराज तथा लौरिया नंदनगढ़ स्तम्भ लेख चम्पारण (बिहार) में है।

लघु स्तम्भ लेख:

۞    लघु स्तम्भ लेख पर अशोक की राजकीय घोषणाओं का उल्लेख है। सारनाथ, सांची, कौशांबी, रूम्मिनदेई, निग्लीवा तथा इलाहाबाद से लघु स्तम्भ लेख मिले हैं।

۞    इलाहाबाद स्तम्भ लेख को रानी का लेख भी कहा जाता है।

۞    रूमिनदेई स्तंभ लेख में बु) के जन्म स्थान में कर को 1ध्8 किये जाने का उल्ल्ेख है।


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